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सिबलिंग या एलुमनी नहीं तो नो एंट्री!
2 Feb 2011, 0400 hrs IST,नवभारत टाइम्स
भूपेंद्र
नई दिल्ली ।। नर्सरी एडमिशन की पहली लिस्ट आउट हो गई। जनरल कैटिगरी में अप्लाई करने वाले हजारों ऐसे पैरंट्स को निराशा ही हाथ लगी, जो सिबलिंग या एलुमनी में से किसी के पॉइंट भी हासिल नहीं कर पाए। कई नामी स्कूलों की एडमिशन लिस्ट देखने से पता चलता है कि एडमिशन पाने वाले कैंडिडेट ने इन दोनों में से किसी एक कैटिगरी के पॉइंट जरूर हासिल किए हैं। कहना गलत न होगा कि कैंडिडेट को नर्सरी एडमिशन भी विरासत में मिला है। सिबलिंग यानी अगर कैंडिडेट का भाई-बहन पहले से ही उस स्कूल में पढ़ रहा है और एलुमनी यानी कैंडिडेट के पैरंट्स में इस स्कूल में पढ़े हों।
कुछ स्कूलों की एडमिशन लिस्ट वाकई चौंकाने वाली है। द मदर्स इंटरनैशनल स्कूल, श्री अरविंदो मार्ग ने जनरल कैटिगरी में 48 कैंडिडेट की लिस्ट जारी की है। ये सभी 48 कैंडिडेट में से एक भी ऐसा नहीं है, जो सिबलिंग या एलुमनी में से किसी भी कैटिगरी में नहीं आता। या तो कैंडिडेट दोनों कैटिगरी में हैं या फिर कम से कम एक कैटिगरी में जरूर हैं। स्कूल में 90 से लेकर 55 पॉइंट तक हासिल करने वालों को एडमिशन मिल रहा है। 90 पॉइंट पाने वाला एक कैंडिडेट है। पैरंट्स का कहना है कि स्कूलों ने पॉइंट सिस्टम इस तरह से तैयार किया था कि सिबलिंग या एलुमनी कैटिगरी में आने वालों का ही एडमिशन हो सके। द मदर इंटरनैशनल स्कूल ने डिस्टेंस के 40 पॉइंट रखे थे और सिबलिंग व एलुमनी के 30-30 पॉइंट। कोई भी कैंडिडेट डिस्टेंस के 40 पॉइंट के बल पर एडमिशन नहीं पा सका। सात कैंडिडेट ऐसे हैं, जिन्होंने सिबलिंग व एलुमनी दोनों कैटिगरी के पॉइंट लिए हैं जबकि बाकी कैंडिडेट इनमें से किसी एक कैटिगरी के पॉइंट हासिल कर एडमिशन लिस्ट में शामिल हो गए हैं।
स्प्रिंगडेल्स स्कूल पूसा रोड भी एक बड़ा नाम है और इस स्कूल में भी इन्हीं दोनों कैटिगरी का बोलबाला रहा है। स्कूल ने जनरल कैटिगरी की 52 सीटों के लिए जो लिस्ट जारी की है, उसमें 95 पॉइंट से लेकर 45 पॉइंट तक पाने वालों को जगह मिली है। स्कूल ने जो क्राइटेरिया तय किया था, उसमें सिबलिंग के 35, एलुमनी के 25 पॉइंट थे। यानी इन दोनों कैटिगरी को मिला दें तो 60 पॉइंट बनते हैं। स्कूल में मिनिमम 45 पॉइंट हासिल करने वालों को एडमिशन मिल रहा है। लेकिन अगर इन दोनों कैटिगरी में से किसी के पॉइंट नहीं हैं तो एडमिशन नहीं हो पा रहा है। क्योंकि अगर कोई कैंडिडेट बाकी 40 पॉइंट भी ले लेता है तो भी 45 पॉइंट नहीं बन पाते हैं।
डीपीएस आरकेपुरम ने जो शार्टलिस्ट कैंडिडेट की जो लिस्ट जारी की थी, उसमें भी ज्यादातर वही बच्चे थे जो सिबलिंग या कैटिगरी में से किसी एक में पॉइंट ले रहे थे। स्प्रिंगडेल्स धौलाकुआं और कीर्ति नगर में भी यही ट्रेंड है। वहीं रोहिणी के ज्यादातर स्कूलों की लिस्ट भी आ गई है। रोहिणी के माउंट आबू पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल ज्योति अरोड़ा ने बताया कि इस बार कंपीटिशन टफ रहा है। 55 से 60 पॉइंट तक पाने वाले कैंडिडेट के नाम लिस्ट में आ पाए हैं। उन्होंने कहा कि कुछ सीटों के लिए सेकंड लिस्ट भी आ सकती है।
एडमिशन नर्सरी डॉट कॉम के फाउंडर सुमित वोहरा का कहना है कि जनरल कैटिगरी के पैरंट्स को बहुत निराशा हुई है क्योंकि उन्हें लगता है कि नर्सरी में एडमिशन सिर्फ विरासत का खेल हो गया है। उन्होंने कहा कि जनरल कैटिगरी को तीन भागों में बांट देना चाहिए। एक भाग जनरल सिबलिंग और दूसरा जनरल एलुमनी होना चाहिए जबकि तीसरा भाग जनरल नो स्कोप होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस साल जो ट्रेंड चला है , वह बहुत गलत है और इससे पैरंट्स में निराशा बढ़ी है। पैरंट्स का कहना है कि स्कूलों ने जो क्राइटेरिया बनाया था , सरकार को उस पर ध्यान देना चाहिए ताकि नर्सरी एडमिशन में पारदर्शिता आ सके।
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Those who haven't got through any schools need not panic. There is still a silver lining with Dwarka subcity emerging as a hub of schools with good infrastructure and all facilities. Since there are a lot of socities in Dwarka whose draws are still pending, hence availability of seats is comparatively more in new schools compared to any other area.
It is not that these schools are not good, but only lack brand name. Hence, parents can aproach these schools for admission.
Suggested schools where you might get admission: Presidium, Sachdeva Global, GD Goenka, Indian Hts., Nirmal Bhartia, OPG, MBS, Paramount, Queens Valley, Dwarka Int., Delhi Int., Jinvani, Modern Int.
I have heard that there are some reputed schools in Dwarka which have a few management seats available too. For that you need to personally visit the schools. All the best.
In the last 20 years population of Delhi has grown more than 4 times, whereas no new schools have come up except in some new colonies like Dwarka and Rohini. Even in these colonies, last school land given by govt. was in 1999, i.e., more than a decade ago. Here too schools are filling up fast and in 2-3 years won't be in a position to increase seats. Hence, in coming years this situation is going to worsen.
I think it is time that govt. should seriously take up the issue with the schools by either coming up with more schools or arranging for more seats in existing schools by putting 2 shifts. Else, it will be impossible to give good education to our kids in near future.
I think that suggestion given by nri18 is very valid.
Schools should start giving classes in two shifts. this will reduce parent's pain as well as schools can double their income being so business centric.
TUM BHI KHUSH HUM BHI KUSH.....Hope the quality will not be detriorated !!!
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