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Dainik Bhaskar
नई दिल्ली. नर्सरी दाखिले की दौड़ में आवेदन प्रक्रिया खत्म होने के साथ ही अब अभिभावकों ने प्वाइंट सिस्टम का गणित बैठाना शुरू कर दिया है। इसके चलते उन्होंने दाखिले के अन्य तरीकों पर भी विचार शुरू कर दिया है। इसका कारण यह है कि स्कूलों की ओर से डोनेशन की मांग शुरू हो गई है।
कहीं इसे चंदे का नाम दिया जा रहा है तो कहीं डेवलपमेंट फंड। अभिभावकों का आरोप है कि उनके पास लगातार स्कूलों से पहली सूची में दाखिला सुनिश्चित करने के लिए फोन आ रहे हैं। साफ है कि शिक्षा निदेशालय की लाख कोशिशों के बावजूद अब स्कूलों में डोनेशन का खेल शुरू हो गया है।
अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल किसी न किसी बहाने डोनेशन लेकर सीट बुक करने के ऑफर पेश कर रहे हैं। अभिभावकों ने साफ आरोप लगाते हुए कहा है कि पीतमपुरा, अशोक विहार व द्वारका के कुछ स्कूल सीट बुकिंग के लिए डोनेशन की मांग कर रहे हैं।
एडमिशन नर्सरी डॉट कॉम की फोरम पर चर्चा में अभिभावक इस बात का खुलासा कर रहे हैं। चूंकि, ५-१क् स्कूलों में आवेदन किए गए हैं, इसलिए अभिभावकों को लगातार इस बात की चिंता है कि इतने में स्कूलों में आवेदन करने के बाद भी नंबर नहीं आता तो फिर क्या होगा।
ऐसे में उनकी सोच यह है कि यदि दाखिले के लिए स्कूल को डोनेशन भी देना पड़े तो वे देंगे। हालांकि, डोनेशन देने से पहले वे प्वाइंट का गणित लगा रहे हैं कि किस स्कूल में नंबर आ सकता है और किस में नहीं। एक अभिभावक ने बताया कि निदेशालय के पास भेजी शिकायत पर एक्शन तो होता नहीं, इसलिए यदि सीट पक्की करनी है तो इस रास्ते को मजबूरी में अपनाना ही पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि निदेशालय के नियमों के मुताबिक इंटरेक्शन, इंटरव्यू व डोनेशन प्रतिबंधित है। ऐसे में अगर स्कूल ऐसा कर रहे हैं तो यह नियमों की अवहेलना है। एडमिशन नर्सरी डॉट कॉम के संस्थापक सुमित वोहरा ने बताया कि उनकी फोरम पर डोनेशन मांगे जाने से जुड़ी 50 से ज्यादा शिकायतें आ चुकी हैं। इसमें ३५-६५ हजार रुपए की डिमांड कर पहली लिस्ट में ही नाम पक्का करने की गारंटी दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि स्कूलों का यह रवैया नया नहीं है। बीते साल की तरह इस बार भी कड़ी प्रतियोगिता को भांपते हुए स्कूल अभिभावकों की कमजोरी का फायदा उठाने में लगे हैं। सुमित वोहरा कहते हैं कि स्कूलों की इन गतिविधियों पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। केवल खानापूर्ति न करते हुए स्कूलों के खिलाफ लगाम कसने की जरूरत है, जिससे स्कूलों को सबक मिले और पारदर्शिता के साथ दाखिले हो सकें।
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I couldn't find the right topic to post this message. I was doing my 'research' on Manava Bharati International School where recently my kid was called for a test. The parents were 'interviewed' too.
I came across something which I want to share with other parents. I've posted a reply in this regard here: http://www.consumercourt.in/school/11627-manava-bharti-india-intern...
Hope this help other parents.
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