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Rashtrya Saharaराकेश नाथ/एसएनबी नई दिल्ली। राजधानी के पब्लिक स्कूलों में नर्सरी की पढ़ाई शुरू नहीं हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिले को लेकर लगाए स्टे के बाद सेशन शुरू करने को लेकर भी रोक लग गई है। शिक्षा निदेशालय के निदेशक पदमिनींिसंघला ने कहा कि स्कूल फिलहाल सेशन शुरू नहीं कर सकते हैं। पहले जो आर्डर निदेशालय की ओर से निकाला गया था, वह 4 अप्रैल का था लेकिन 15 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दाखिले पर लगाए गए स्टे के बाद पहले वाले ऑर्डर पर भी रोक लगती हुई दिख रही है। यदि किसी स्कूल ने सेशन शुरू कर दिया है, तो उन्हें यह नर्सरी का सेशन रोकना होगा। बता दें कि हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई के बाद अपनी सुनवाई 7 मई तक टाल दी है। एडमिशन नर्सरी डॉटकॉम के प्रमुख सुमित वोहरा ने कहा कि कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आने तक की बात कहते हुए सुनवाई टाल दी है। उन्होंने कहा कि स्कूलों में नर्सरी की क्लासेज न शुरू होने से अभिभावक भी परेशान हैं। उनका कहना है कि उन्होंने तीन महीने की फीस दे दी है और स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो रही तो उनकी दी हुई फीस क्या रिफंड नहीं होनी चाहिए। शिक्षा निदेशक पदमिनी सिंघला ने बताया कि स्कूलों में सेशन को लेकर फिलहाल रोक की स्थिति है, स्कूल नर्सरी का सेशन शुरू नहीं कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर लीगल एडवाइस ली जाएगी कि नर्सरी का सेशन शुरू किया जा सकता है या नहीं और इस बाबत एक स्पष्टीकरण जारी किया जाएगा। पीतमपुरा वसुधा एन्कलेव स्थित एमएम पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य रुमा पाठक ने कहा कि सेशन शुरू करने को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है, इस कारण स्कूल ने नर्सरी का सेशन शुरू नहीं किया। उन्होंने कहा कि इस भ्रम की स्थिति को देखते हुए निदेशालय को जल्द ही एक स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए जिससे स्कूल व अभिभावकों को राहत मिले। रोहिणी स्थित माउंट आबू पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य डॉ ज्योति अरोड़ा ने कहा कि बुधवार को फोरम ऑफ पब्लिक स्कूलों की एक बैठक हुई, जिसमें इसी बात को लेकर र्चचा शुरू की गई। डॉ अरोड़ा ने कहा कि यदि निदेशालय का स्पष्टीकरण आ जाए तो सोमवार तक स्कूल में नर्सरी का सेशन शुरू करने का विचार कर रहे हैं।
नर्सरी एडमिशन शिक्षा निदेशालय सेशन शुरू करने को लेकर लेगा लीगल एडवाइस सेशन चालू करने को लेकर पब्लिक स्कूलों ने की बैठक 7 मई तक टल गई नर्सरी की सुनवाई पेरेंट्स की टेंशन बढ़ी, अब और इंतजार
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With all respect indu ji... i criticize only management of school ..not the teaching staff coz money is demanded by management only... and i know feq teachers in so called top pvt schools they say we dont know when andhow kids are selected ???
All is done in hiding and secretly.... we were given classes and kida after admission is over....
And one more thing all of us including me are happy to pay reasonable amount as fee nd other charges... but why donation and capitation fee which range from few thousands to lakhs aometimes
Whats your take on this
I am also against donation and capitation fee ...
That's what i am stating here @indu das ji... and plez let me know who ask for such donations....
One morething every one ia free to choose school for its ward... me being a govt sxhool teacher or not is not an issue here....
If you r luking for something then ..respect it...speaking ill is not a good idea...
Sure indu ji... i have respect for teachers and other staff but not for management of these so called schools
Hello Indu
One thing where i agree with Mahesh is school underpaying and also read some parents confirming the same.
One parent wrote same about her sister being under payed and forced to sign on more than double the amount.
Don't you think you are being personal here by asking someone to admit his child to Govt school.
Thanx a lot dr amita.. maam.... still i dont get bothered by anybody saying bad about me... being a teacher i am habitual and always ready for such things.... it doeant make difference ... everybody has his or her view point and all are free to express there feelings...
When people come to know that someone is teacher then the reaction is full of angre ..i cant understand why????
Hello Mahesh
We all respect teachers,but few are black sheep in every school :)
Yes i agree... no doubts maam.... but for sure i justify with my teaching and with students...what i believe if i ditch my students here... then my own kid will suffered some day from some teacher....
The nature do its justice on this earth here and only here
Now this debate is becoming personal. Better stay away. Let it not be a person centric.
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