Nursery Admissions in Delhi NCR 2026-27

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Rashtriya Sahara ~ R C Jain (Schools Rep)-We will go to Supreme Court if Point System is scrapped.Mr Vohra highlights donation upto 2.5 lacs being asked. Amit Singla-Lack of evidence stumbling block

स्कूलों को जनरल कैटेगरी के बच्चों का चयन भी लॉटरी सिस्टम से करना होगा स्कूल एसोसिएशन ने कहा, प्वाइंट सिस्टम हटा तो जाएंगे सुप्रीम कोर्ट

राकेश नाथ/एसएनबी नई दिल्ली। नर्सरी एडमिशन प्रोसेस को लेकर हाईकोर्ट की सोमवार को टिप्पणी के बाद स्कूलों में मौजूदा 100 प्वाइंट फॉर्मूले पर तलवार लटक गई है। हाईकोर्ट यदि प्वाइंट फॉमरूले को खत्म करने का आर्डर देती है, तो फिर स्कूलों के पास एडमिशन का एकमात्र जरिया ड्रा बचेगा। नर्सरी एडमिशन को लेकर स्कूलों की पिछले कई दिनों से चल रही कवायद का भी कोई महत्व नहीं रह जाएगा। कई पब्लिक स्कूल तो फस्र्ट एडमिशन लिस्ट भी जारी कर चुके हैं। ऐसे स्कूलों की सूची पूरी तरह से रद्द मानी जाएगी। प्वाइंट सिस्टम के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले सोशल ज्यूरिस्ट संस्था के संयोजक अशोक अग्रवाल ने कहा कि प्वाइंट सिस्टम यदि रद्द होता है, तो सभी स्कूलों को ड्रॉ से दाखिले करने होंगे। उधर, दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष आरसी जैन ने कहा कि यदि प्वाइंट सिस्टम खत्म होता है, तो एसोसिएशन सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। गौरतलब है कि 100 प्वाइंट फॉमरूले को राजधानी के निजी स्कूल वर्ष 2007 से अपना रहे हैं। इसमें सिबलिंग, एलुमनी, नेबरहुड, गर्ल चाइल्ड व ट्रांसफर केस आदि की कैटेगरी बनाकर उनके अलग-अलग प्वाइंट्स तय किए जाते हैं। इस फॉमरूले से कुछ खास कैटेगरी के बच्चों को तो फायदा मिल जाता है, लेकिन सैकड़ों बच्चों के साथ भेदभाव हो जाता है। शिक्षा के अधिकार कानून के तहत स्कूलों में ड्रा के जरिए दाखिले का प्रावधान है। प्वाइंट सिस्टम खत्म होने पर स्कूलों को सभी जनरल कैटेगरी के बच्चों का ड्रॉ निकालना होगा। अग्रवाल ने कहा कि अभी जिन स्कूलों ने ईडब्ल्यूएस से पहले जनरल की दाखिला सूची निकाली है, उन्होंने शिक्षा निदेशालय के आदेश का उल्लंघन किया है। निदेशालय ने हाल ही में यह आदेश दिया था कि स्कूलों को ईडब्ल्यूएस व जनरल कैटेगरी के बच्चों की एकीकृत दाखिला सूची निकालनी होगी। शिक्षा निदेशक अमित सिंघला का कहना है कि प्वाइंट सिस्टम हटता है तो कैसे दाखिले होंगे, यह कोर्ट के आदेश से पहले कहना मुश्किल है।

नई दिल्ली (एसएनबी)। नर्सरी एडमिशन की रेस में डोनेशन का खेल शुरू हो चुका है। शिक्षा निदेशालय की सख्ती के कारण प्राइवेट स्कूल इस बार बेहद सावधानी बरतते हुए पेरेंट्स से डोनेशन की डिमांड कर रहे हैं। डोनेशन की डिमांड करने से पहले स्कूल पेरेंट्स का मोबाइल बाहर रखवा लेते हैं। यहां तक की 100 प्वाइंट फॉमरूले में सफल होने वाले बच्चों के अभिभावकों से भी डोनेशन की मांग की जा रही है। 80 या इससे ज्यादा प्वाइंट हासिल करने वाले पेरेंट्स से सीट बुक करने के नाम पर मांग की जा रही है। डोनेशन मांगने वाले कई स्कूलों की निदेशालय को शिकायत मिली है, लेकिन दिक्कत यह है कि निदेशालय के पास स्कूलों को रंगे हाथ पकड़ने का कोई जरिया नहीं है और वह बिना सबूत सिर्फ शिकायत के आधार पर किसी स्कूल के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकता। सूत्रों के मुताबिक, स्कूल डोनेशन मौखिक तौर पर अभिभावकों से मांग रहे हैं। ऐसे में इसका सबूत मिलना मुश्किल है। स्कूल भी डोनेशन मांगने के दौरान अपनी तरफ से बेहद सावधानी बरत रहे हैं। अभिभावकों को अलग-अलग छोटे-छोटे ग्रुप में बुलाकर डिमांड रखी जा रही है। एडमिशन नर्सरी डॉट कॉम के प्रमुख सुमित वोहरा का कहना है कि उनके पास कई अभिभावकों की शिकायतें आई हैं। इन अभिभावकों का कहना है कि स्कूल उनसे 50 हजार रुपए से लेकर ढाई लाख रुपए तक की मांग कर रहे हैं। पेरेंट्स ने ऐसी ही शिकायतें शिक्षा निदेशालय को भी भेजी हैं। दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशक अमित सिंघला का कहना है कि डोनेशन को लेकर शिकायतें तो मिल रही हैं, लेकिन निदेशालय सबूत न होने के कारण आरोपी स्कूलों से सिर्फ जवाब तलब ही कर पा रहा है। जिन दो स्कूलों के खिलाफ स्टिंग ऑपरेशन कर सबूत दिए गए हैं, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई है। उन्होंने कहा कि अभिभावकों की शिकायतों के आधार पर पत्र भेजकर स्कूलों से जवाब मांगा जाता है। यदि निदेशालय को कोई सबूत मिलता है, तो तुरंत स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया जाता है। पिछले दिनों दो स्कूलों के खिलाफ एक टीवी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन के आधार पर मामला दर्ज कराया गया है। सिंघला ने कहा कि निदेशालय के पास खुद इस तरह का स्टिंग ऑपरेशन कराने की कोई व्यवस्था नहीं हैं और न ही इस बारे में सोचा जा रहा है। निदेशालय के पास डोनेशन को लेकर कई शिकायतें आई हैं, लेकिन इनकी संख्या कितनी है, यह बताना मुश्किल है। निदेशालय के 28 जोन हैं और हर जोन में शिकायतों की अलग-अलग संख्या है। यह संख्या हर दिन बदल जाती है। एडमिशन नर्सरी डॉट कॉम के सुमित वोहरा के मुताबिक, एक अभिभावक ने बताया कि उससे स्कूल दाखिले के लिए ढाई लाख रुपए की डिमांड कर रहा है। इसी प्रकार, एक अभिभावक ने बताया कि उन्होंने अपने बच्चे का यूकेजी में दाखिले के लिए आवेदन किया था। स्कूल ने उनके बच्चे का चयन भी कर लिया था, लेकिन एक दो दिन में सीट रिजर्व करने की बात कहते हुए अब 50 हजार रुपए की डिमांड कर रहे हैं। स्कूल ने इन 50 हजार रुपयों की कोई रसीद भी न देने की बात कही है। एक अन्य स्कूल के बारे में शिकायत आई है कि उसने दाखिले के लिए 90 हजार रुपये मांगे हैं। इसमें से 40 हजार चेक के जरिए और बाकी के नकद। इसी तरह, पश्चिमी दिल्ली के एक स्कूल के बारे में अभिभावक ने शिकायत की है कि स्कूल ने उनसे सीधे 50 हजार रुपये का चेक मांगा है। जबकि निदेशालय की गाइडलाइंस के मुताबिक, डोनेशन मांगने का आरोप सिद्ध होने पर आरोपी स्कूल को लिए गए डोनेशन का दस गुना अभिभावक को जुर्माने के तौर पर लौटाना होगा। सोशल ज्यूरिस्ट संस्था के संयोजक अशोक अग्रवाल ने कहा कि स्कूल के दाखिले में हर साल डोनेशन की शिकायतें मिलती हैं, लेकिन निदेशालय केवल नोटिस देकर ही अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेता है। अभिभावक हजारों रुपए स्कूलों को देने के लिए मजबूर हैं। कई अभिभावक तो इस बात की शिकायत ही नहीं करते। जो लोग आर्थिक रूप से मजबूत हैं, वह डोनेशन दे देते हैं। जिनके पास रुपये नहीं होते, उनके बच्चों का दाखिला नहीं हो पाता है। अग्रवाल ने कहा कि डोनेशन को लेकर निदेशालय चाहे तो स्कूलों पर इनकम टैक्स की रेड डलवा सकता है।

प्राइवेट स्कूल 50 हजार से लेकर ढाई लाख रुपए तक मांग रहे हैं डोनेशन डोनेशन की डिमांड के दौरान बरत रहे हैं बेहद सावधानी, पेरेंट्स का मोबाइल बाहर रखवा लिया जाता है छोटे-छोटे ग्रुप में डोनेशन के लिए बुलाया जाता है पेरें ट्स को निदेशालय बिना सबूत नहीं कर पा रहा कार्रवाई

     

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Even if anybody go to SC, RTE Act will never change which is constitutionally valid one. Mr.Vohra has well highlighted the Donation Angle. Schools ask for a hefty amount name to appear in first list and half rate for sibling cases in Dwarka before the display of admission list just shows that DOE admission guidelines and its flawed point system has no meaning any more. Mr.Amit Singla's statement is not new but the same old we heard for 3 years - no proof or complaints. 

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