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स्कूलों को जनरल कैटेगरी के बच्चों का चयन भी लॉटरी सिस्टम से करना होगा स्कूल एसोसिएशन ने कहा, प्वाइंट सिस्टम हटा तो जाएंगे सुप्रीम कोर्ट
राकेश नाथ/एसएनबी नई दिल्ली। नर्सरी एडमिशन प्रोसेस को लेकर हाईकोर्ट की सोमवार को टिप्पणी के बाद स्कूलों में मौजूदा 100 प्वाइंट फॉर्मूले पर तलवार लटक गई है। हाईकोर्ट यदि प्वाइंट फॉमरूले को खत्म करने का आर्डर देती है, तो फिर स्कूलों के पास एडमिशन का एकमात्र जरिया ड्रा बचेगा। नर्सरी एडमिशन को लेकर स्कूलों की पिछले कई दिनों से चल रही कवायद का भी कोई महत्व नहीं रह जाएगा। कई पब्लिक स्कूल तो फस्र्ट एडमिशन लिस्ट भी जारी कर चुके हैं। ऐसे स्कूलों की सूची पूरी तरह से रद्द मानी जाएगी। प्वाइंट सिस्टम के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले सोशल ज्यूरिस्ट संस्था के संयोजक अशोक अग्रवाल ने कहा कि प्वाइंट सिस्टम यदि रद्द होता है, तो सभी स्कूलों को ड्रॉ से दाखिले करने होंगे। उधर, दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष आरसी जैन ने कहा कि यदि प्वाइंट सिस्टम खत्म होता है, तो एसोसिएशन सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। गौरतलब है कि 100 प्वाइंट फॉमरूले को राजधानी के निजी स्कूल वर्ष 2007 से अपना रहे हैं। इसमें सिबलिंग, एलुमनी, नेबरहुड, गर्ल चाइल्ड व ट्रांसफर केस आदि की कैटेगरी बनाकर उनके अलग-अलग प्वाइंट्स तय किए जाते हैं। इस फॉमरूले से कुछ खास कैटेगरी के बच्चों को तो फायदा मिल जाता है, लेकिन सैकड़ों बच्चों के साथ भेदभाव हो जाता है। शिक्षा के अधिकार कानून के तहत स्कूलों में ड्रा के जरिए दाखिले का प्रावधान है। प्वाइंट सिस्टम खत्म होने पर स्कूलों को सभी जनरल कैटेगरी के बच्चों का ड्रॉ निकालना होगा। अग्रवाल ने कहा कि अभी जिन स्कूलों ने ईडब्ल्यूएस से पहले जनरल की दाखिला सूची निकाली है, उन्होंने शिक्षा निदेशालय के आदेश का उल्लंघन किया है। निदेशालय ने हाल ही में यह आदेश दिया था कि स्कूलों को ईडब्ल्यूएस व जनरल कैटेगरी के बच्चों की एकीकृत दाखिला सूची निकालनी होगी। शिक्षा निदेशक अमित सिंघला का कहना है कि प्वाइंट सिस्टम हटता है तो कैसे दाखिले होंगे, यह कोर्ट के आदेश से पहले कहना मुश्किल है।
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Even if anybody go to SC, RTE Act will never change which is constitutionally valid one. Mr.Vohra has well highlighted the Donation Angle. Schools ask for a hefty amount name to appear in first list and half rate for sibling cases in Dwarka before the display of admission list just shows that DOE admission guidelines and its flawed point system has no meaning any more. Mr.Amit Singla's statement is not new but the same old we heard for 3 years - no proof or complaints.
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