Form Dates | Admission Criteria | Results | Fee Details | List of All Schools
नई दिल्ली. राजधानी के स्कूलों में हो रहे नर्सरी दाखिले की प्रक्रिया में शिक्षा निदेशालय की गुगली ने सारी कहानी ही पलटकर रख दी है। हालत यह है कि अपनी एमबीए व डॉक्टरी के बूते फूले नहीं समा रहे अभिभावकों के चेहरे की हवाइयां उड़ी हुई हैं। 24-24 स्कूलों में आवेदन के बाद भी वह एक बेहतर विकल्प को तरसते नजर आ रहे हैं। वहीं कम पढ़े लिखे ऐसे अभिभावकों की भी कमी नहीं है, जो पढ़ाई-लिखाई और प्रोफेशन के प्वाइंट के चलते उन स्कूलों में आइमाइश के लिए ही नहीं पहुंचे, जहां आज सारा खेल ही बदल चुका है।
नर्सरी दाखिले के लिए राजधानी के 80 फीसदी से अधिक स्कूलों ने पहली फरवरी को दाखिले की पहली सूची जारी कर दी। सूची में काफी संख्या में ऐसे अभिभावक रहे, जिनके बच्चों का दाखिला सिर्फ इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि कई स्कूलों ने प्रोफेशनल व शैक्षणिक योग्यता को दाखिले का आधार नहीं बनाया।
ऐसे ही एक अभिभावक डॉ. पारुल मोहन ने बताया कि उन्होंने ब्लूम इंटरनेशनल स्कूल व हेरिटेज स्कूल (वंसत कुंज) में आवेदन किया था, लेकिन पता चला कि स्कूल ने प्वाइंट सिस्टम में बदलाव कर दिया है, जिसके कारण उनके पढ़ाई और प्रोफेशन के प्वाइंट पूरी तरह से कट गए। इसी तरह ज्ञान भारती स्कूल ने पहले अपने प्वाइंट सिस्टम में शैक्षणिक योग्यता और प्रोफेशन के 10-10 अंक निर्धारित किए थे। उसी के आधार पर अभिभावकों ने आवेदन किया। सूची जारी होने से दो दिन पहले ही स्कूल ने इन अंकों को नेबरहुड (घर से स्कूल की दूरी) में जोड़ दिया और अचानक ही नेबरहुड के 20 से 40 अंक हो गए।
सूची में 1617 बच्चों को 40 अंक प्रदान किए गए। लेकिन, महज 30 बच्चों को ही सफल घोषित किया गया। अभिभावक विनय कश्यप के मुताबिक ऐसे शैक्षणिक योग्यता और प्रोफेशन को शामिल न कर पाने के कारण ही हुआ। मृत्युजंय मुखर्जी ने अपने बेटे के लिए 24 स्कूलों में आवेदन किया। ज्यादातर स्कूलों में सिबलिंग, एल्युमनाई, गर्ल्ड चाइल्ड, ट्रांसफर केस को ही अंक प्रदान किए गए। इन आधारों के कारण उन्हें एक भी प्वाइंट नहीं मिल पाया। उम्मीद थी कि मां-बाप के पढ़े-लिखे होने का तो फायदा ही हो जाएगा पर कुछ नहीं हुआ। अक्षत चौहान दंपति एमबीए डिग्री धारक हैं, बावजूद उनकी डिग्री बच्चे के दाखिले में काम नहीं आ पाई।
पारदर्शिता के लिए उठाया कदम
पहली दाखिला सूची जारी होने से चंद रोज पहले शिक्षा निदेशालय के रवैये के चलते बदली सूची के विषय पर निदेशालय का तर्क है कि ऐसा केवल दाखिला प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिया किया गया है। निदेशालय की मानें तो कम पढ़े लिखे अभिभावकों के बच्चों को नामचीन स्कूलों में पढ़ने का अवसर मिलना चाहिए और इसी सोच के चलते यह बदलाव किया गया है। हालांकि स्कूलों का कहना है कि अभिभावकों को धीरज धरते हुए दूसरी सूची की प्रतीक्षा करनी चाहिए और उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए।
सताने लगी फीस की चिंता
नम्बर गेम में फंसे अभिभावकों के समक्ष अब फीस की दुविधा खड़ी हो गई है। परेशानी है बेहतर विकल्प के अभाव में हाथ आए मौके पर अंतिम फैसला करने का। स्कूलों की फीस के मुद्दे पर एडमिशन नर्सरी डॉट कॉम के संचालक सुमित वोहरा कहना है कि उनके सम्पर्क में ऐसे कई अभिभावक हैं, जो इस समस्या से दो-चार हो रहे हैं। दो-तीन विकल्पों के लिए लाख-लाख रुपए के इंतजाम की टेंशन झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को आगे बढ़कर इस मामले में राहत देने का प्रयास करना चाहिए। चूंकि सरकार ने कार्यक्रम के तहत एक ही दिन सूची जारी करने का नियम लागू किया है, सो उसी दिन फीस वापसी का भी इंतजाम करना चाहिए ताकि अभिभावक कर्ज से बच सकें।
Tags:
there two more points to consider one fee highic and Donation
© 2025 Created by Sumit Vohra (Webmaster).
Powered by
helpdesk@admissionsnursery.com